सायटिका


सायटिका



  • सायटिका एक ऐसी बीमारी है जिसमें दर्द के कारण मरीज़ को असहनीय पीड़ा होती है और कभी कभी तो पीड़ा इतनी असहनीय हो जाती है कि मरीज़ उठ बैठ भी नहीं पाता। सायटिका का मुख्य कारण सायटिक नर्व है, यह वो नर्व है जो रीढ़ के निम्न भाग से निकलकर घुटने के पीछे की ओर से पैर की तरफ जाती है। शरीर को अधिक समय तक एक ही स्थिति में रखने से यह दर्द बढ़ जाता है और अकसर यह समस्या उन लोगों में होती है जो बहुत समय तक बैठ कर काम करते हैं या बहुत अधिक चलते हैं। अत्यधिक साइकिल , मोटर साइकिल अथवा स्कूटर चलाने से सायटिक नर्व पर दबाव पड़ता है ा कभी कभी ऐसा भी होता है कि अचानक हड्डियों पर ज़ोर पड़ जाने से भी इस प्रकार का दर्द होता है। इस प्रकार का दर्द अकसर 40 से 50 वर्ष की उम्र में होता है और यह बीमारी बरसात के या ठंड के मौसम में होती है।

  • सायटिका के लक्षण:
  • हड्डियों में अचानक असहनीय पीड़ा होना
  • नितम्बों से होती हुई पीड़ा जो कि घुटनों तक जाती हो
  • दर्द के समय दर्द की जगह का सुन्न पड़ जाना
  • लेटते समय और थोड़ा सा हिलने डुलने पर भी अत्यधिक पीड़ा का अनुभव करना
  • यह बीमारी अकसर अधिक उम्र में होती है और सायटिका के मरीज़ के लिए दर्द का सामना करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि दर्द के तीव्र होने से वह अपने रोज़मर्रा के काम भी नहीं कर पाता !
  • सायटिका से चिकित्सा के तरीके:
  • ऐसी बीमारी में सबसे पहली बात आहार की आती है ऐसा आहार लें जो कि आपके शरीर के लिए बहुत ही हल्का हो ।
  • दर्द के समय गुनगुने पानी से नहायें ।
  • आप सन बाथ भी ले सकते हैं।
  • अपने आपको ठंड से बचाएं और वातावरण के अनुकूल कपड़े पहनें।
  • सुबह व्यायाम करें या सैर पर जायें ।
  • अधिक समय तक एक ही स्थिति में ना बैठें या खड़े हों। अगर आप आफिस में हैं तो बैठते समय अपने पैरों को हिलाते डुलाते रहें ।
  • चिकित्सा की नयी पद्धति में चुम्बक चिकित्सा भी एक है। दर्द से आराम के लिए आप चुम्बकीय जल ले सकते हैं या फिर दर्द के स्थान के आरम्भ पर उच्च शक्ति में चुम्बक का उत्तरी ध्रुव और दक्षिण ध्रुव को उस पैर के नीचे रखें जिसमें दर्द हो रहा है। एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर जैसी तकनीक अपनाकार भी इस बीमारी से निज़ात पाया जा सकता है।
  • नरव पेन या न्यूराल्जिया किसी खास नर्व के रास्ते में होता है। न्यूराल्जिया में जलन, संवेदनहीनता, या एक से अधिक नर्व में दर्द फैलने की समस्या हो सकती है। न्यूराल्जिया से कोई भी नर्व प्रभावित हो सकती है।
  • कारण
  • नर्व के दर्द के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ कारण हैं
  • ड्रग्स
  • रसायनों के कारण परेशानी
  • क्रॉनिक रिनल इनसफिशिएंशी
  • मधुमेह
  • संक्रमण, जैसे-शिंगल्स, सिफलिस और लाइम डिजीज
  • पॉरफाइरिया
  • नजदीकी अंगों (ट्यूमर या रक्त नलिकाएं) से नर्व पर दबाव पड़ना
  • नर्व में सूजन या तकलीफ
  • नर्व के लिए खतरे या गंभीर समस्याएं(इसमें शल्यक्रिया शामिल है)
  • अधिकतर मामलों में कारण का पता नहीं चलता।
  • नर्व पेन एक जटिल और क्रॉनिक तकलीफदेह स्थिति है, जिसमें वास्तविक समस्या समाप्त हो जाने के बाद भी दर्द स्थायी रूप से बना रहता है। नर्व पेन में दर्द शुरू होने और रोग की पहचान होने में कुछ दिन से लेकर कुछ महीने लग सकते हैं। नर्व को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचने पर या पुराने चोट ठीक हो जाने पर भी दर्द शुरू हो सकता है।
  • लक्षण
  • न्यूरॉल्जिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बूढे लोगों में इसकी संभावना अधिक है। न्यूरॉल्जिया के लक्षण हैं
  • जलन की अनुभूति, संवेदनहीनता और पूरे नर्व में दर्द
  • शरीर के प्रभावित भाग की गति औऱ कार्य-प्रणाली मांसपेशियों की कमजोरी, दर्द या नर्व की क्षति के कारण अवरुद्ध हो जाती है। दर्द अचानक उठता है और बहुत तेज होता है, जैसे-कोई नुकीली चीज चुभ रही हो या जलन की अनुभूति होती है। यह दर्द लगातार रह सकता है या रुक-रुक कर होता है।
  • छूने या दबाने से दर्द महसूस होता है और चलना फिरना भी कष्टदायक हो जाता है।
  • प्रभावित नर्व के पथ में दर्द रहता है या यह दर्द बार-बार होता है।
  • जांच और रोग निदान
  • किसी एक जांच से नर्व पेन की पहचान नहीं की जा सकती। प्रारंभ में डॉक्टर आपके लक्षणों और दर्द के विवरण के साथ शारीरिक जांच से रोग के पहचान का प्रयास करता है। आपके शारीरिक जांच से पता चल सकता है-
  • त्वचा में असामान्य अनुभूति
  • गहरी टेंडन रिफ्लैक्स में कमी या मांसपेशियों का कम होना
  • प्रभावित क्षेत्र में पसीना कम निकलना(पसीना निकलना नर्व के द्वारा नियंत्रित होता है)
  • नर्व के पास स्पर्श से दर्द या सूजन महसूस होना
  • ट्रिगर प्वाइंट या ऐसे क्षेत्र जहां हल्के से छू देने से भी दर्द शुरू हो जाए
  • दांतों की जांच, जिसमें फेशियल पेन् को जन्म देनेवाली दांतों की समस्याएं शामिल नहीं हैं(जैसे-दांतों में ऐबसेस या फोड़े)
  • प्रभावित क्षेत्र के लाल हो जाने या सूजन आने जैसे-लक्षण, जिससे संक्रमण, ह़ड्डी टूटने या रयूमेटॉइड अर्थाराइटिस की स्थिति की पहचान में सहायता मिले।
  • न्यूरॉल्जिया के लिए कोई विशिष्ट जांच नहीं है, लेकिन निम्नलिखित जांच से दर्द का कारण जानने में मदद मिलती है-
  • ब्लड शुगर औऱ किडनी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट
  • सीटी स्कैन या एमआरआई
  • इलेक्ट्रोमायोग्राफी के साथ नर्व कंडक्शन स्टडी जिससे पता चल सके कि नर्व कितने सही तरीके से काम कर रहा है।
  • स्पाइनल टैप(लंबर पंक्चर)
  • नर्व बॉयोप्सी जिससे नर्व फाइबर की असामान्यता का पता किया जा सकता है
  • उपचार
  • नर्व पेन का इलाज सामान्यतया कठिन है, और प्राय: दर्द से राहत देने वाले इलाजों से इस दर्द में कोई अंतर नहीं आता। आपको कई प्रकार के चिकित्सा पद्धतियों को आजमाने की आवश्यकता होती है, ताकि पता चल सके कि कौन सी प्रणाली आपके लिए लाभकारी है। कभी-कभी स्वयं या समय के साथ हालत में खुद-ब-खुद सुधार आ जाता है। चूंकि नर्व पेन का इलाज आसान नहीं है, इसके उपचार के मुख्य लक्ष्य हैं-
  • दर्द की तीव्रता कम करना
  • स्थायी दर्द से जूझने में आपकी सहायता करना
  • आपके दैनिक जीवन पर दर्द के प्रभाव कम करना
  • अगर किसी आंतरिक बीमारी(जैसे-डायबिटीज, ट्यूमर) के कारण दर्द हो रहा है तो इसका पता चलने पर अगर इस बीमारी का इलाज संभव है तो इलाज करना।
  • डायबिटीज के रोगियों में शुगर पर कड़े नियंत्रण से न्यूरॉल्जिया में लाभ होता है।

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